
विभिन्न पोषक तत्व एवं उनकी आवश्यकता
पोषक तत्व भोजन में उपस्थित वे आवश्यक पदार्थ हैं जिनकी हमारे शरीर को वृद्धि, ऊर्जा, रखरखाव और समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यकता होती है। जिन खाद्य पदार्थों को आप खाने के लिए चुनते हैं उनसे यह निर्धारित होता है कि आपके शरीर को कौन - कौन से और कितनी मात्रा में पोषक तत्व मिलेंगे।
संतुलित और पौष्टिक आहार सभी पोषक तत्वों को आवश्यक मात्रा और उचित अनुपात में प्रदान करता है। सभी खाद्य पदार्थों में पोषक तत्व मौजूद होते हैं लेकिन सभी पोषक तत्व एक ही भोजन में मौजूद नहीं होते हैं। पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थों की मात्रा उम्र, लिंग और शारीरिक गतिविधि के अनुसार अलग - अलग हो सकती है।
शरीर को विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है उनमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा जैसे Macronutrients शामिल हैं जो ऊर्जा प्रदान करते हैं, साथ ही विटामिन और खनिज जैसे Micronutrients भी शामिल हैं जो विभिन्न शारीरिक कार्यों को करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
Macronutrients
Carbohydrates :
कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा प्रदान करने, पाचन तंत्र को Maintain बनाए रखने और साथ ही प्रोटीन और Fat को पचाने में सहायक होते हैं।कार्बोहाइड्रेट कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं से बने कार्बनिक यौगिक हैं।
कार्बोहाइड्रेट के तीन प्रकार हैं: स्टार्च, शर्करा, फ़ाइबर|
कार्बोहाइड्रेट के स्रोत :
- अनाज जैसे चावल, गेहूँ, मक्का, सोयाबीन आदि
- सभी बेकरी उत्पादनों(दूध, दही, घी), दाल, टमाटर, सोयाबीन और सूखे मेवे
- गन्ने, गुड़, शहद, जै़ली, सूखे मेवे, मिठाई और अंगूर आदि ताजे फल
- तरबूज, Raspberries, अंगूर, Blueberries, नाशपाती और बेर जैसे ताजे फल
Protein :
प्रोटीन शरीर के आवश्यक तत्वों में से एक है, जो अमीनो एसिड से बने होते हैं। वे विविध कार्य करते हैं, जैसे शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत और नई कोशिकाओं का निर्माण, ऊर्जा प्रदान करना और रक्त के pH पर नियंत्रण रखना आदि।
प्रोटीन के स्रोत :
- शाकाहारी स्रोत: चना, मटर, मूंग, मसूर, उड़द, सोयाबीन, राजमा, गेहूँ, मक्का
- मांसाहारी स्रोत: मांस, मछली, अंडा एवं दूध
Fat :
वसा शरीर के लिए ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है और स्वस्थ संतुलित आहार में एक निश्चित मात्रा में Fat होना आवश्यक है।
वसा अंगों और ऊतकों को सुरक्षित रखने, विटामिनों को अवशोषित करने और हार्मोनों का उत्पादन करने में सहायक है।
वसा के स्रोत :
मक्खन, घी, दूध, पनीर, अंडा, मांस, खाद्य तेल ।
वसा के कुछ अन्य स्रोत ये हैं:
मूंगफली, अदरक, सरसों, बिनौला, सूरजमुखी, एवोकाडो, काजू, साबुत अंडे, मछली, डार्क या मिल्क चॉकलेट, Chia Seeds, क्रीम, सोयाबीन, अंगूर , मेवे
Micronutrients :
Vitamin :
विटामिन शरीर के लिए ज़रूरी पोषक तत्व हैं। ये शरीर को स्वस्थ रखने और विकास के लिए ज़रूरी होते हैं विटामिन के कई कार्य हैं, जैसे भोजन से ऊर्जा प्राप्त करना, Blood Clot में सहायता करना , हड्डियों को मज़बूत करना, घावों को ठीक करना और Immune System को बढ़ावा देना आदि।
विटामिन के स्रोत :
शाकाहारी स्रोत : चना, मटर, मूंग, मसूर, उड़द, सोयाबीन, राजमा, गेहूँ और मक्का आदि।
मांसाहारी स्रोत : मांस, मछली, अंडा, दूध।
Minerals :
Minerals शरीर के लिए आवश्यक तत्व हैं, ये शरीर के कई कामों के लिए ज़रूरी होता हैं जैसे: हड्डियों को मज़बूत बनाना, तंत्रिका आवेगों को संचारित करना, हार्मोन का उत्पादन करना, स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखना, ऊर्जा के स्तर को बढ़ाना आदि।
जल, फल और सब्जियां, अनाज, मांस, मछली, अंडे, पूरी, सफ़ेद आटे की रोटी, नारियल, पिस्ता, अखरोट, वनस्पति घी, चाकलेट, मिठाइयां, दूध, छिलका सहित दालें, चाय, कांफ़ी, मटर, आलूबुखारा, चीनी, डेयरी उत्पाद(दूध, दही, घी), मैदा आदि।
आपको अपनी शारीरिक रचना, Health के अनुसार, विशिष्ट पोषक तत्वों की जरूरतों को निर्धारित करने के लिए एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर या आहार विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, एक संतुलित आहार जिसमें विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल हों, प्राकृतिक रूप से आपकी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका है।

अस्थमा के कारण, उपचार और रोकथाम के तरीके
अस्थमा एक लम्बे समय तक चलने वाली चिकित्सीय स्थिति है जिसमें वायुमार्गों के आसपास की मांसपेशियों में सूजन और संकुचन(Contraction) के कारण फेफड़ों में वायुमार्ग पतला (Narrow) हो जाता है। इससे खांसी, घरघराहट(Wheezing), सांस लेने में तकलीफ और सीने में जकड़न जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण धीरे - धीरे होते हैं और अक्सर रात में अत्यधिक बढ़ जाते हैं। अगर सही इलाज में देरी हो जाए तो अस्थमा जानलेवा हो सकता है। बढ़ते प्रदूषण जैसे कारकों के कारण,दमा जैसे श्वसन रोग चिंताजनक रूप से फैलते जा रहें हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत में लगभग 20 मिलियन अस्थमा रोगी हैं। अस्थमा का प्रभाव आम तौर पर 5 से 11 साल के बीच के बच्चों में भी हो सकता है।
अस्थमा के लक्षण
Symptoms Of Asthma
अस्थमा के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- सांस लेने में तकलीफ
- घरघराहट(सांस लेते और छोड़ते समय एक तेज़ सीटी वाली आवाज़ आती है, यह वायुमार्ग के सिकुड़ने के कारण होता है।)
- सांस लेते समय हांफना
- लगातार खांसी(खासकर रात में या सुबह के समय)
- सीने में जकड़न या दबाव महसूस होना
- चक्कर आना
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अस्थमा के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं और समय के साथ बदल सकते हैं। कुछ लोगों में हल्के, रुक-रुक कर होने वाले लक्षण होते हैं, जबकि अन्य में अधिक गंभीर और लगातार लक्षण हो सकते हैं। यदि आप या आपका कोई परिचित अस्थमा के लक्षणों का अनुभव कर रहा है, तो उचित निदान और प्रबंधन के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है। सही इलाज और जीवनशैली में बदलाव से अस्थमा को नियंत्रित किया जा सकता है।
अस्थमा के कारण :
Causes Of Asthma :
हालाँकि अस्थमा का कोई विशेष कारण अज्ञात है, शोधकर्ताओं का मानना है कि यह कई कारकों के कारण हो सकता है :
- आनुवंशिकी : यदि आपके माता-पिता या भाई-बहन को अस्थमा है , तो आपको यह स्थिति होने की अधिक संभावना है।
- वायु प्रदूषण : धुँए और अन्य किसी रासायनिक पदार्थों के सम्पर्क में आने से
- मोटापा : अधिक वजन या मोटापे के कारण बच्चों और वयस्कों दोनों में अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है।
उपचार :
Treatment :
कारणों और गंभीरता के आधार पर अस्थमा के लक्षणों का उपचार निर्धारित किया जाता है।
1. त्वरित-राहत उपचार
इसमें अस्थमा के दौरे से तुरंत राहत पाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं शामिल हैं। जैसे :
Bronchodilators : ये वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियों की जकड़न को कम करने और सांस लेने को सामान्य करने में मदद करने के लिए तुरंत काम करते हैं।
2. दीर्घकालिक दवाएं
अस्थमा के गंभीर लक्षणों से पीड़ित व्यक्तियों को आमतौर पर दीर्घकालिक दवाएं दी जाती हैं। हालांकि वे तत्काल लक्षणों को रोकने में मदद नहीं कर सकते हैं, लेकिन निर्धारित अनुसार सेवन करने पर वे लंबे समय में गंभीरता को कम करने में मदद करते हैं। इसमे शामिल है :
सूजनरोधी दवाएं : इन्हें Corticosteroids या Inhalers के साथ लिया जाता है। वे सूजन को कम करने और अतिरिक्त बलगम उत्पादन को रोकने में मदद करते हैं।
Anticholinergics : आमतौर पर Anti-inflammatory दवाओं के साथ प्रतिदिन लिया जाता है, जो वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियों की जकड़न को रोकने में मदद करता है।
3. बायोलॉजिक्स कोर्स
बायोलॉजिक्स शरीर में सूजन के मार्ग को बाधित करता है। उपचार का यह कोर्स आमतौर पर तब निर्धारित किया जाता है जब अन्य दवाएं अस्थमा Triggers को नियंत्रित करने में असमर्थ होती हैं। इन दवाओं को चिकित्सकीय देखरेख में या तो Inject किया जाता है या डाला जाता है।
अस्थमा की रोकथाम
Asthma Prevention
- उन रसायनों और उत्पादों से दुरी बनाए रखें जो पहले सांस लेने की समस्या का कारण रहे हैं।
- धूल या Mold जैसे एलर्जी से दूर रहें।
- एलर्जीरोधी दवा लें जो अस्थमा के कारणों के खिलाफ शरीर की रक्षा करते हैं।
- चिकित्सक के सलाह से ही निवारक दवा लें।

थायरायड लक्षण एवं उपचार
आज के समय में हम सभी स्वस्थ रहना चाहते हैं। लेकिन व्यस्त जीवनशैली, अव्यवस्थित खान-पान, Physical Exercise की कमी जैसे कई कारणों से हम बीमार पड़ते रहते हैं। कोई न कोई बीमारी हमारे जीवन पर असर डालती है और हम परेशान होते रहते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसी बीमारियाँ भी हैं जो हमारे शरीर की ग्रंथियों से संबंधित होती हैं। इन्हीं में से एक है थायराइड की बीमारी, जो हमारी थायरॉइड ग्रंथि से संबंधित होती है। इससे संबंधित बीमारी को थायराइड रोग कहा जाता है।
थायरॉइड गले में पाई जाने वाली तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है। ये Windpipe के ऊपर होती है। यह मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अंतः - स्रावी ग्रंथियों में से एक होती है। इसी थायरॉइड ग्रंथि में Disturbances आने से ही Thyroid से संबंधित रोग होते हैं। Thyroid gland, Thyroidin नाम का हार्मोन बनाती है। ये हार्मोन हमारे शरीर के metabolism को बढ़ाता है और Body में Cells को नियंत्रित करने का काम करता है। थायरॉइड हार्मोन हमारे शरीर की सभी प्रक्रियाओं की गति को नियंत्रित करता है। शरीर की Metabolic Process में भी Thyroid ग्रंथि का खास योगदान होता है।
थायरॉइड कितने प्रकार का होता है?
थायरॉइड 2 प्रकार का होता है एक Hyperthyroidism और दूसरा Hypothyroidism।
जब थायराइड बहुत अधिक थायराइड हार्मोन बनाता है तो उसे Hyperthyroidism कहा जाता है। इस स्थिति में आपका शरीर बहुत जल्दी ऊर्जा का उपयोग करता है। ऊर्जा का बहुत तेज़ी से उपयोग आपको काफी थका देता है।
Hyperthyroidism के लक्षण :
- चिड़चिड़ापन और घबराहट होना
- नींद न आना
- वजन घटना
- बढ़ी हुई थायरॉयड ग्रंथि या goiter होना
- मांसपेशियों में कमजोरी और कंपकंपी होना
- irregular periods का होना या Periods न होना
- बालों का पतला होना एवं झड़ना
- Visible Problems या आंखों में जलन होना
दूसरा यह है कि आपका थायरॉइड बहुत कम थायराइड हार्मोन बनाता है। जिसे Hypothyroidism कहा जाता है। जब आपके शरीर में थायरॉइड हार्मोन की मात्रा बहुत कम हो जाती है, तो यह आपको थका हुआ महसूस कराता है।
Hypohyroidism के लक्षण :
- थकान महसूस होना
- आँखों में सूजन आना
- वजन बढ़ना
- बार-बार भूलना
- बार-बार और Heavy menstruation होना
- त्वचा में सूखापन और खुजली होना
- सोचने-समझने में असमर्थ
- कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना आदि।
थायराॅइड से बचाव के उपाय क्या है?
- प्रतिदिन 15 से 20 मिनट योग करना
- प्रतिदिन सेब का सेवन करना
- रात में हल्दी का दूध पीना
- सुबह की धूप लेना
- नारियल तेल से बना खाना खाना
- पर्याप्त मात्रा में नींद (8 घंटे ) लेना
- ज्यादा फलों एवं सब्जियों को भोजन में शामिल करें
- हरी पत्तेदार सब्जियों( पालक, मेथी, लाई आदि ) का सेवन करना
- पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें
थायराॅइड में क्या नहीं खाना चाहिए?
- धूम्रपान, एल्कोहल जैसे अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना
- चीनी, चावल, Oily Food का सेवन नहीं करे
- मसालेदार खाने से बचे
- मैदे से बनी चीजें न खाए
- चाय और काॅफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
थायरॉइड का इलाज क्या है?
थायरॉइड से सम्बन्धित बीमारी मुख्य रूप से अस्वस्थ खान-पान और तनावपूर्ण रहने से होती है। ऐसे में सबसे पहले अपने खान-पान का ध्यान रखें और तनाव लेने से बचें। साथ ही Thyroid के इलाज के लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर कुछ मेडिकल जाँच के बाद डॉक्टर आपको दवाइयां देगें। जिससे आप कुछ ही दिनों में अच्छा महसूस करेंगे। साथ ही डॉक्टर आपको हर साल Thyroid की जाँच करवाने के लिए भी बोल सकता है।

विभिन्न विटामिन एवं उनके कार्य व स्रोत
विटामिन शरीर के लिए ज़रूरी पोषक तत्व हैं, ये शरीर के कई कार्यों में मदद करते हैं। जैसे लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन, शरीर के विकास में मदद करना, भोजन को ऊर्जा में बदलना, संक्रमण से लड़ने में मदद करना, घाव भरना, हड्डियों को मज़बूत बनाना और हार्मोन को विनियमित करना आदि।
विटामिन के विभिन्न प्रकार हैं :
विटामिन A के कार्य एवं स्रोत :
Functions and sources of Vitamin A :
कार्य :
- शरीर की त्वचा को स्वस्थ बनाए रखना
- आंखों की रोशनी में सहायक है
- हड्डियों के विकास में सुधार करना
- Cell Division और Cell Differentiation जैसी अन्य Cellular Activities में सुधार करना
- Healthy Immune System को बनाए रखना
स्रोत : गाजर, चुकंदर, शलजम, शकरकंद, मटर, ब्रोकली, कद्दू, साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, धनिया, गिरीदार फल(आम, नारियल, मूँगफली, बादाम, काजू और अखरोट आदि ), पीले या नारंगी रंग के फल, आम, तरबूत, पपीता, चीकू, पनीर, सरसों, राजमा, Beans और अंडा आदि।
विटामिन B के कार्य एवं स्रोत :
Functions and sources of Vitamin B :
कार्य :
- शरीर को जीवाणुओं से लड़ने की शक्ति देता है
- शरीर के Metabolism को बढ़ाता है
- Skin, Nerves, Tissues, Bones और Muscles को स्वस्थ रखता है
- शरीर के पोषक तत्त्वों को ऊर्जा में बदलता है
- पाचन में सुधार करता है
- एनर्जी को बढ़ाता है
- आंखों के लिए फ़ायदेमंद है
- भूख बढ़ाता है
- स्वस्थ हृदय के लिए फ़ायदेमंद है
स्रोत : साबुत अनाज, Beans, दलिया, Brown Rice, आलू, केले, पॉपकॉर्न, हरे पत्तेदार सब्जियां, मांस, मछली, अंडे, मशरूम, Nut, मटर, ब्रोकली, एवोकाडो, गेहूँ, मटर, चावल, मूँगफली, हरी सब्जियाँ, मटर, दाल, खमीर, अंडे की ज़र्दी और अखरोट आदि।
विटामिन C के कार्य एवं स्रोत :
Functions and sources of Vitamin C :
कार्य :
- खून को साफ़ रखता है
- दांतों को मज़बूत बनाता है
- ज़ख्मों और टूटी हुई हड्डियों को जल्दी ठीक करता है
- जुकाम से बचाता है
- त्वचा की सुरक्षा करता है
- त्वचा को नमी देता है
- Immunity बढ़ाता है
- सूरज की किरणों से त्वचा की रक्षा करता है
- मसूड़ों को स्वस्थ रखता है
स्रोत : खट्टे फल (जैसे आंवला, नारंगी, नींबू, संतरा, अंगूर, कीवी, अनानास, स्ट्रॉबेरी आदि), सब्ज़ियां (जैसे अमरूद, सेब, केला, बेर, कटहल, पुदीना, मूली के पत्ते, मुनक्का, चुकंदर, चौलाई, बंदगोभी, हरा धनिया, पालक आदि ), दालें आदि।
विटामिन D के कार्य एवं स्रोत :
Functions and sources of Vitamin D :
कार्य :
- यह हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों को मज़बूत करता है
- यह शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली को मज़बूत करता है
- यह कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में मदद करता है
स्रोत : सुबह की धुप, मछली(जैसे सैल्मन), कॉड लिवर ऑयल, अंडे की ज़र्दी, दूध, अनाज, संतरे, डेयरी उत्पाद(जैसे दूध, दही , घी ), मशरूम आदि।
विटामिन E के कार्य एवं स्रोत :
Functions and sources of Vitamin E :
कार्य :
- रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है
- नसों को ठीक से काम करने में मदद करता है
- रक्त में थक्के बनने में सहायता प्रदान करता है
- Immune System को स्वस्थ रखता है
- Red Blood Cells के निर्माण में मदद करता है
- संक्रमण से लड़ने में स Cells की मदद करता है
- Energy को Release और Maintain करने में सहायक है
स्रोत : गेहूं, सूरजमुखी और सोयाबीन तेल, सरसों के बीज, बादाम, मूंगफली, मूंगफली का मक्खन, चुकंदर की सब्जी, पालक, कद्दू, लाल शिमला मिर्च आदि।
विटामिन K के कार्य एवं स्रोत :
Functions and sources of Vitamin K :
कार्य :
- रक्त प्रवाह को बनाए रखता है
- रक्त के थक्के जमने में मदद करता है
- घावों को ठीक करने में मदद करता है
- पूरे शरीर में कैल्शियम को फैलाने में मदद करता है
स्रोत : हरी पत्तेदार सब्जियां, सरसों की सब्जी, लाल मिर्च, मूली, वनस्पति तेल, मांस, डेयरी उत्पाद(दूध, दही, घी ), अंडे, गेहू, जौ, पालक, चुकंदर की सब्जी, जैतून तेल, केले, अनाज, रसदार फल आदि।

माइग्रेन क्या है? - लक्षण एवं उपचार
माइग्रेन, जिसे अधिकपारी के नाम से भी जाना जाता है। जो आमतौर पर सिर के एक तरफ बहुत तेज दर्द के साथ होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिर दर्द के साथ Nausea, उल्टी और दस्त के लक्षण भी हो सकते हैं। यह अत्यधिक तेज़ दर्द का कारण बन सकता है जो घंटों से लेकर कई दिनों तक रह सकता है। Bright Light और तेज Sound व्यक्ति को अधिक प्रभावित करते है।
कुछ लोगों में सिरदर्द से पहले देखने में परेशानी या आँखों के सामने हल्का धब्बा दिख सकता है। इसके कारण चेहरे के एक तरफ या हाथ या पैर में Tingling और बोलने में कठिनाई भी होती है। कुछ दवाएं माइग्रेन को रोकने और दर्द कम करने में मदद कर सकती हैं। दवा के साथ-साथ lifestyle में बदलाव भी जरूरी है।
यदि उपचार न किया जाए, तो माइग्रेन आमतौर पर 4 से 72 घंटों तक रहता है। माइग्रेन का अटैक कितनी बार होगा, यह हर व्यक्ति में अलग-अलग होता है।
माइग्रेन के चरण
Stages Of Migraine
Prodrome : माइग्रेन होने से दो या तीन दिन पहले, आप कुछ बदलाव देखेंगें जैसे कि कब्ज, Mood swings, Food Cravings, गर्दन में अकड़न, बार-बार पेशाब आना और प्यास अधिक लगना आदि।
Aura : यह आमतौर पर माइग्रेन के दौरान या उससे पहले होता है। इसके Signs आमतौर Zigzag light vision और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता आदि हैं। ये लक्षण लगभग 20 से 60 मिनट तक रह सकते हैं।
Attack : इस अवस्था में इलाज न किए जाने पर माइग्रेन आमतौर पर 4 से 72 घंटे तक रहता है।इस अवस्था में, सिरदर्द सिर के दोनों ओर या सिर्फ एक ओर रहता हैं, Light के प्रति sensitivity, nausea, उल्टी और बेहोशी हो सकती है।
Post drome : इसे एक माइग्रेन के अंतिम चरण के रूप में जाना जाता है। बहुत से लोग कमजोर और थका हुआ महसूस करते हैं। साथ ही कुछ लोगों में भ्रम, चक्कर आना, कमजोरी, Light और Sound के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।
माइग्रेन के लक्षण
Migraine Symptoms
- Pulsating या तेज़ सिरदर्द , जो धीरे - धीरे तेज होने लग जाता है और शारीरिक गतिविधि के साथ बढ़ जाता है।
- Ocular और Frontotemporal क्षेत्र में एकतरफा दर्द (दर्द सिर या गर्दन के आसपास महसूस किया जा सकता है।)
- 4-72 घंटे तक लगातार सिरदर्द
- Light और Sound के प्रति संवेदनशीलता
- उल्टी और बीमार जैसा महसूस करना
- धुंधला दिखना
माइग्रेन का निदान
Diagnosing Migraine
यदि आपको माइग्रेन है या परिवार में किसी को माइग्रेन है या माइग्रेन से सम्बंधित लक्षण दिखाई देते हैं, तो न्यूरोलॉजिस्ट से मिलें। वे आपकी स्थिति , लक्षणों और और न्यूरोलॉजिकल टेस्ट के आधार पर दवाइयाँ देंगें जो कि माइग्रेन की Frequency और गंभीरता पर निर्भर करता हैं।गंभीर मामलों में MRI स्कैन, CT स्कैन भी कराया जा सकता है।
आप दर्द कम करने के लिए Pain killer भी ले सकते हैं।
माइग्रेन में क्या खाएं ?
What to eat in Migraine?
- Magnesium से भरपूर भोजन जैसे एवोकैडो, हरी पत्तेदार सब्जियां।
- मछली जैसे Salmon और Sardines, Flaxseeds जो Omega-3 Fatty Acid के स्रोत हैं।
- Caffeine के स्रोतों में Cofee का सेवन कर सकते हैं।
- ताजे फल और सब्जियां।
- चिकन, बीफ (Cattle Meat), मछली और सूअर का मांस ।
- काजू, बदाम, अखरोट व कद्दू के बीज

Home Remedies For Fairness Skin
ऐसे कई घरेलू उपाय हैं जिन्हें आप अपने चेहरे पर Natural Glow लाने के लिए आजमा सकते हैं। ध्यान रखें कि हर व्यक्ति में परिणाम अलग-अलग हो सकते हैं।
Glowing Skin के लिए यहां कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं :
1. शहद और नींबू का मास्क :
शहद और नींबू के रस को बराबर मात्रा में मिला लें।
इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगाएं और लगभग 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें।
इसे गर्म पानी से धो लें।
2. हल्दी फेस मास्क :
1-2 चम्मच हल्दी पाउडर को सादे दही या शहद के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें।
पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं और लगभग 15-20 मिनट तक सूखने दें।
अब इसे गुनगुने पानी से धो लें।
4. खीरा और दही का मास्क :
एक खीरे को कद्दूकस कर लें और इसे सादे दही के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें।
इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट तक लगा रहने दें।
ठंडे पानी से धो लें।
5.ओटमील स्क्रब :
पिसी हुई दलिया को पानी या दही के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें।
पेस्ट को अपने चेहरे पर कुछ मिनट तक गोलाकार गति में धीरे-धीरे मालिश करें।
गुनगुने पानी से धो लें।
6. गुलाब जल :
रुई की मदद से अपने चेहरे पर गुलाब जल लगाएं या इसे अपने चेहरे पर छिड़कें।
गुलाब जल आपकी त्वचा को तरोताजा करने में मदद करता है, जिससे चेहरे पर natural glow आता है।
7. नारियल तेल मालिश :
नारियल के तेल को थोड़ा गर्म करें और इससे अपने चेहरे पर धीरे-धीरे मालिश करें।
गर्म पानी से धोने से पहले इसे लगभग 30 मिनट या रात भर चेहरे पर लगाकर छोड़ दें।
9. दूध और केसर :
केसर के कुछ धागों को दूध में कुछ घंटों के लिए भिगो दें।
इस केसर युक्त दूध को अपने चेहरे पर लगाएं और धोने से पहले इसे सूखने दें।
10. हाइड्रेटेड रहें :
स्वस्थ, चमकती त्वचा बनाए रखने के लिए रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीना आवश्यक है। एक दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखें।