
टी बी क्या है? लक्षण कारण व उपचार
टी बी एक Bacterial Infection है, जो प्रमुख रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह Mycobacterium Tuberculosis Bacteria के कारण होता है और मरीज के खांसने, छींकने व बोलने के दौरान से एक स्वच्छ व्यक्ति में भी फैल सकता है। यह अत्यधिक संक्रामक रोग होता है, जो कई बार फेफड़ों से मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी व अन्य अंगों तक भी फैल सकता है। टी बी का पूरी तरह से इलाज करना संभव है, लेकिन इसके इलाज में काफी लंबा समय लग जाता है, इसलिए कई बार व्यक्ति को कुछ जटिलताओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
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ट्यूबरक्लोसिस के इलाज में आमतौर पर 6 से 9 महीनों तक लगातार दवाओं का कोर्स पूरा करना पड़ता है। विश्वभर में 24 मार्च को टी बी या तपेदिक दिवस मनाया जाता है, क्योंकि 24 मार्च, 1882 को जर्मन फिजिशियन और माइक्रोबायोलॉजिस्ट रॉबर्ट कॉच ने टीबी के बैक्टीरियम यानी जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) की खोज की थी।
टी बी के लक्षण
- सीने में दर्द
- खांसी के साथ खून आना
- बार-बार खांसी होना या लगातार खांसी रहना
- रात के समय पसीने आना
- बुखार
- भूख न लगना
- खांसते या सांस लेते समय दर्द होना
- थकान व कमजोरी महसूस होना
- गर्दन व छाती में सूजन आना
टी बी के कारण
जुकाम व फ्लू की तरह टी बी भी हवा से फैल सकता है। तथा जब टी बी से ग्रसित कोई व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है, तो उसके मुंह से लार की अति सूक्ष्म बूंदें निकलती हैं और हवा में फैल जाती हैं। ये बूंदें बहुत सूक्ष्म होती हैं, जो दिखाई नहीं देती हैं लेकिन इनमें टी बी का कारण बनने वाले Bacteria होते हैं। यह बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में जीवित रहते हैं।
इसके होने के भी कई कारण हैं जैसे-
डायबिटीज
अगर कोई व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है तो टी बी रोग भी उसे बड़ी आसानी से हो सकता है, इसलिए डायबिटीज के मरीजों को अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना चाहिए और डायबिटीज को हमेशा कंट्रोल में रखना चाहिए।
कमजोर प्रतिरोधक क्षमता
टी बी एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और यह उस व्यक्ति को जल्दी अपनी चपेट में ले लेता है जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।
किडनी रोग
टीबी उन लोगो को जल्दी हो जाता है जो किडनी रोग से पीड़ित होते हैं या कभी किडनी से संबंधित कोई बीमारी हुई हो।
संक्रमण
टी बी रोग HIV AIDS जैसे संक्रमण के कारण भी फैलता है।
कुपोषण
टी बी रोग होने का सबसे बड़ा कारण कुपोषण है। जो लोग कुपोषण के शिकार हैं उनमें यह बीमारी ज्यादा देखी गई है।
टी बी को दूर करने उपचार
- विटामिन से भरपूर फल और सब्जियां खाएं, जैसे संतरा, आम, कद्दू, गाजर, अमरूद, आंवला, टमाटर, Nuts और बीज
- प्रोटीन से भरपूर खाना खाएं, जैसे दुबला मांस, मछली, बीन्स, दाल, और अंडे
- साबुत अनाज खाएं, जैसे ब्राउन राइस, गेहूं की रोटी
- लहसुन की 1-2 कली सुबह खाएं और ऊपर से ताजा पानी पिएं
- केला खाएं

रक्त कैंसर - लक्षण एवं उपचार
रक्त कैंसर, जिसे Leukemia के नाम से भी जाना जाता है जो रक्त कोशिकाओं के उत्पादन (Production) और कार्य(Function) को प्रभावित करता है। इनमें से अधिकांश कैंसर, Bone Marrow में शुरू होते हैं जहां रक्त का उत्पादन होता है। बोन मैरो में Stem cells होती हैं और तीन प्रकार की रक्त कोशिकाओं में विकसित होती हैं: Red Blood Cells, White Blood Cells और Platelets।
रक्त कैंसर के लक्षण
Symptoms Of Bood Cancer
ब्लड कैंसर के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। ब्लड कैंसर के सामान्य लक्षणों में हैं -
- अत्यधिक थकान और कमजोरी
- सांस लेने में कठिनाई
- सिर चकराना
- त्वचा का पीला पड़ना
- छाती में दर्द
- मसूड़ों में bleeding
- Blood Vessels के फटने के कारण त्वचा पर छोटे लाल धब्बे पड़ना
- Heavy Menstruation
- शौच (Defecation) के वक्त खून आना
- बुखार और रात को बहुत अधिक पसीना आना
- धीरे - धीरे वजन कम होना
- हड्डियों में दर्द होना
- पेट दर्द के साथ उल्टियाँ (Nauses)
- कब्ज होना
- भूख में कमी
- टखनों(Ankles) में सूजन आना
- हाथ-पैरों का सुन्न होना(Numbness) और उनमें दर्द होना
ब्लड कैंसर का इलाज
Treatment of blood cancer
ब्लड कैंसर का उपचार 3 प्रमुख कारकों पर निर्भर करता है:
- कैंसर का प्रकार
- कैंसर की स्टेज
- रोगी की आयु
यहां ब्लड कैंसर के विभिन्न उपचार विकल्पों के बारे में बताया गया है :
- स्टेम सेल प्रत्यारोपण(Stem Cell Transplant) :
- कीमोथेरपी(Chemotherapy) :
इसमें कैंसर रोधी दवाओं का उपयोग किया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकती हैं। इन दवाओं को एक इंजेक्शन के माध्यम से या फिर गोलियाँ दी जाती है। कुछ मामलों में, कीमोथेरेपी में एक समय पर कई दवाएं लेने की आवश्यकता हो सकती है। ब्लड कैंसर के रोगी को कुछ मामलों में पहले कीमोथेरेपी और फिर स्टेम सेल ट्रांसप्लाटेशन करवाना पड़ सकता है।
- रेडियोथेरेपी(Radiotherapy) :
ब्लड कैंसर के खतरे को कैसे कम करें?
How to reduce the risk of blood cancer?
रक्त कैंसर का कोई विशेष कारण ज्ञात नहीं है, इसलिए इसके रोकथाम का कोई विशेष उपाय नहीं हैं। हालांकि, आप एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करके कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। यहां कुछ Tips दिए गए हैं जो Blood Cancer के खतरे को कम कर सकते हैं :
- कम से कम 30 मिनट तक रोजाना व्यायाम करने की आदत बनाएं ।
- Antioxidants और पोषक तत्वों से भरपूर अच्छी तरह से संतुलित आहार का पालन करें।
- अगर संभव हो तो कीटनाशक (Pesticides) रसायनों से दूर रहें।
- रेडिएशन के अत्यधिक संपर्क से बचें।
- प्रतिदिन कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पिए।
- अगर आप कैंसर से संबंधित किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो अपने डॉक्टर के साथ उन पर चर्चा करें और तुरंत इलाज कराएं।

गुर्दे की पथरी (किडनी स्टोन): लक्षण, कारण, और उपचार
Kidney Stone को नेफ्रोलिथियासिस, रीनल कैलकुली या यूरोलिथियासिस के रूप में भी जाना जाता है। यह मूत्र में पाए जाने वाले सॉल्ट और मिनरल्स जैसे रसायनों से बनी एक प्रकार की कठोर जमावट होती है। जिससे किडनी स्टोन की समस्या उत्पन जो सकती है। यह शरीर के भीतर रसायनों के संचय के माध्यम से विकसित होता है।
Kidney Stone का आकार एक रेत के दाने के आकार से लेकर गोल्फ की गेंद के आकार जितना हो सकता है। Kidney Stone Urinary के किसी भी क्षेत्र में विकसित हो सकती है, चाहे वह Kidney हो या मूत्राशय। पथरी मूत्र से भी विकसित हो सकती है।
Kidney Stone के प्रकार
Uric Acid Stone : Uric Acid Stone एक प्रकार की Kidney Stone है जो तब बनता है जब मूत्र बहुत अधिक Uric Acid होता है। वे कठोर और दर्दनाक होते हैं, तथा डायबिटीज से पीड़ित और दिन-रात लगातार बढ़ते रहने वाला पेट दर्द और दस्त के रोग" से पीड़ित मरीजों को Uric Acid Stone होने की संभावना अधिक होती है
Calcium Oxalate Stone: इस प्रकार के Stone की शिकायत आहार संबंधी के कारणों से होती है, जैसे विटामिन डी की अधिकता, और आंतों की बाईपास Surgery के पिछले Record के कारण होती है। इसके अलावा यदि आप नियमित रूप से seizures या migraine को नियंत्रित करने के लिए दवाएं लेते हैं तो यह इस प्रकार से स्टोन का कारण बन सकता है।
सिस्टीन Stone : सिस्टिनुरिया” एक दुर्लभ विकार है जो सिस्टीन स्टोन का कारण बनता है। बीमारी के कारण एक “सिस्टीन” जैसा प्राकृतिक पदार्थ आपकी यूरिन में लीक हो जाता है। यूरिन में बड़ी मात्रा में सिस्टीन के परिणामस्वरूप किडनी स्टोन बन सकते हैं। ये स्टोन किडनी, यूरिन, ब्लैडर, और अन्य आवश्यक यूरिनरी ट्रैक्ट के ऑर्गन में जमा हो जाते हैं।
Struvite Stone: यह मुख्य रूप से Urinary Tract के संक्रमण के कारण होता है और Struvite stone के आकार में बड़े होते हैं और जल्दी बढ़ते हैं।
दवाओं द्वारा बनने वाली Stone : कभी-कभी कुछ दवाओं के खाने से भी Kidney में Stone हो सकता है जैसे इंडिनवीर, एसाइक्लोविर आदि के इस्तेमाल के कारण भी Kideny Stone हो सकती है।
Kideny Stone क्यों होता है?
आइए जानते हैं किडनी स्टोन होने के क्या कारण होते हैं।
- कम मात्रा में पानी पीना मुख्य कारणों में से एक है
- मूत्र में Chemical अधिकता होना
- शरीर में खनिजों पर्दार्थो की कमी
- पानी की कमी
- विटामिन डी की अधिकता
- Urine पास करते समय दर्द और जलन महसूस होना
- Urine के साथ ब्लड आना
- बार-बार Urine पास करने की इच्छा होना
- उल्टी और बुखार होना (Kidney में Infection होने पर)
- Urine ट्रैक में इंफेक्शन
- Urine के रंग में बदलाव आना
- पीठ में दर्द शुरू होकर पेट की तरफ़ फैलना
Kideny Stone को दूर करने के उपाय
दवाइयाँ (Medicine) : Kideny Stone की वजह से व्यक्ति को असहनीय दर्द झेलना पढ़ सकता है, इसीलिए डॉक्टर दर्द कम करने के लिए कुछ दवाएँ लिख कर देते हैं। कई बार Kideny के Infection से निपटने के लिए Antibiotics भी लिख कर दे सकते हैं।
लेज़र लिथोट्रिप्सी(Laser lithotripsy) : यह एक लेज़र द्वारा Kideny Stone को हटाने की प्रक्रिया होती है जिसमें Surgeon लेज़र फाइबर द्वारा Holmium ऊर्जा का उपयोग करके Stone को छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं ताकि वे आसानी से Urin के साथ बाहर निकल सके।
एक्सट्रॉकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ESWL) : इस प्रक्रिया में Surgeon बड़े Kideny Stone को छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करते हैं जिससे वे bladder. के माध्यम से Urin में जा सकें। इससे किडनी के आसपास के क्षेत्र में दर्द और bleeding महसूस हो सकता है।
टनल सर्जरी(Tunnel Surgery) : इस प्रक्रिया में पीठ में एक छोटे सा चीरा लगाते है और उसके माध्यम से Kideny में से Stone को निकालते है जब Stone Kideny में Infection या हानि पहुँचाता है तब डॉक्टर टनल सर्जरी की सलाह देते है।
यूरेटेरोस्कोपी(Ureteroscopy) : Surgeon यूरेटेरोस्कोपी की सलाह तब देते हैं जब Stone Urin में फंस जाती है। जो की surgery को करने के लिए एक विशेष उपकरण का उपयोग किया जाता है, जिसे यूरेटेरोस्कोप कहते है। इस प्रक्रिया में, एक छोटा कैमरा एक छोटे तार से जुड़ा होता है जो मूत्रमार्ग से अंदर डाला जाता है। इसके बाद Surgeon Stone को इकट्ठा करने और निकालने के लिए एक छोटे से पिंजरे जैसे उपकरण का उपयोग करता है।

मासिक धर्म
मासिक धर्म को माहवारी, रजोधर्म और पीरियड्स के नाम से भी जाना जाता है। महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ शरीर में हार्मोन में होने वाले बदलाव की वजह से गर्भाशय से Bleeding होने लगती है जिसे मासिक धर्म कहते हैं। मासिक धर्म सबको एक ही उम्र में नहीं होता। लड़कियों को यह 8 से 17 वर्ष तक ही उम्र में हो सकता हैं। कुछ विकसित देशों में लड़कियों को 12 या 13 साल की उम्र में पहला मासिक-धर्म होता है। वैसे सामान्य तौर पर 11 से 13 वर्ष की उम्र में लड़कियों का मासिक धर्म शुरू हो जाता है।
मासिक धर्म किस उम्र में शुरू होगा, यह कई बातों पर निर्भर करता है। खान-पान, काम करने का तरीका,वे किस जगह पर रहती है(ठंडी या गर्म)आदि। पीरियड्स या मासिक धर्म महीने में एक बार आता है। यह चक्र सामान्य तौर पर 28 से 35 दिनों का होता है और चलता रहता है। महिला जब तक गर्भवती न हो जाए यह प्रक्रिया हर महीने होती है। मतलब 28 से 35 दिनों के बीच नियमित तौर पर मासिक धर्म या माहवारी होती है। कुछ लड़कियों या महिलाओं को माहवारी 3 से 5 दिनों तक रहती है, तो कुछ को 2 से 7 दिनों तक।
मासिक धर्म शुरू होने से पहले दिखाई देने वाले लक्षण
Symptoms Visible Before Menstruation Starts
- पैरों में दर्द
- पेट और पेट के साथ - साथ कमर के आसपास दर्द होना
- कमजोर महसूस होना
- मूड स्विंग
- Breast में दर्द या Size में बदलाव
- मुहांसे
- Anxiety
- पेट फूलना
- चिड़चिड़ापन या गुस्सा आना
मासिक धर्म होना जरूरी क्यों है ?
Why is it important to have Menstruation?
पीरियड्स के दौरान Uterus के अंदर से Blood और Tissue, Vagina के द्वारा बाहर निकल जाते हैं। यह आमतौर पर महीने में एक बार होता है। लड़कियों के शरीर में पीरियड की शुरुआत होने का मतलब है कि उनका शरीर अपने आप को गर्भावस्था (pregnancy) के लिए तैयार करता है।
मासिक धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं
Many programs are being run by the Government of India to increase awareness about Menstruation :
मासिक धर्म स्वच्छता योजना (MHS) : मासिक धर्म स्वच्छता योजना (MHS) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में किशोर लड़कियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देना है, इस योजना के प्रमुख उद्देश्य हैं:
- ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों तक उच्च गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन की पहुंच और उनका उपयोग बढ़ाना।
- पर्यावरण के अनुकूल तरीके से सेनेटरी नैपकिन का सुरक्षित निधान करना।
मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजना : यह योजना 2011 से लागू की जा रही है, इसके तहत, किशोर लड़कियों के बीच जागरूकता बढ़ाने, उच्च गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन की पहुंच और उपयोग बढ़ाने और सैनिटरी नैपकिन के सुरक्षित निपटान को सुनिश्चित करने के लिए काम किया जा रहा है।
स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय नीति: इस नीति का उद्देश्य स्कूलों में छात्राओं के लिए सैनिटरी पैड एवं उनका निधान और छात्राओं के लिये विशेष वॉशरूम प्रदान करना है।
मासिक धर्म के बारे में बातचीत को सामान्य बनाने से लड़कियों और महिलाओं को विभिन्न Hygiene Products के बारे में जानने और उनका उचित उपयोग करने के तरीके के बारे में सीखने में मदद मिलेगी। खराब मासिक धर्म स्वच्छता, Health Related कई Problems पैदा कर सकती है।

डेंगू बुखार का घरेलू इलाज
डेंगू बुखार, जिसे आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है, एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है।यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार अनुमानतः 500,000 लोगों को हर साल डेंगू के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ती है।डेंगू बुखार के लक्षणों में तेज बुखार, शरीर पर दाने, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। कुछ गंभीर मामलों में रक्तस्राव होता है, जो जीवन के लिए खतरा हो सकता है।
Home Remedies For Dengue Fever
यहाँ डेंगू बुखार के लिए कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो डेंगू के लक्षणों को कम करने लक्षणों को कम करने और Recovery में सहायता करने में मदद कर सकते हैं। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डेंगू बुखार एक गंभीर बीमारी हो सकती है, और आपको उचित निदान और उपचार के लिए किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श लेना चाहिए। यदि आपको संदेह है कि आपको डेंगू बुखार है तो चिकित्सा देखभाल लेना महत्वपूर्ण है।

1. हाइड्रेटेड रहें :
Dehydration होना जो कि डेंगू में आम है, को रोकने के लिए पानी, हर्बल चाय, नारियल पानी और ORS जैसे तरल पदार्थों का अत्यधिक सेवन करें।
2. दर्द और बुखार से राहत :
Acetaminophen (Tylenol) जैसी दर्द निवारक दवाएं बुखार को कम करने और दर्द को कम करने में मदद करती हैं। Ibuprofen जैसी Non-Steroidal Anti-Inflammatory Drugs (NSAIDs) से बचें, क्योंकि वे Bleeding के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
3. पपीते के पत्ते का रस :
पपीते की पत्ती का रस Platelet Count बढ़ाने में मदद करता है, जो डेंगू बुखार के दौरान गिर जाती हैं। पपीते की ताज़ी पत्तियों को पीसकर उसका रस निचोड़ लें और पियें।
4. नीम की पत्तियां :
नीम की पत्तियां में Antiviral गुण होते हैं। नीम की पत्तियों को उबालें और रस बनाकर सेवन करें या उन्हें कुचलकर पेस्ट बनाएं और खुजली से राहत पाने के लिए इसे अपनी त्वचा पर लगाएं।
5. अदरक :
अदरक, बुखार को कम करने और उलटी(Nause) को कम करने में मदद करता है। आप अदरक का पानी बनाकर पी सकते हैं या अदरक के टुकड़ो को उबालकर चबा सकते हैं या अदरक कैप्सूल या अदरक Candies भी ले सकते हैं।
6. हल्दी :
हल्दी में Anti-Inflammatory और Antiviral गुण होते हैं। आप हल्दी को या इसे गर्म दूध और शहद के साथ मिलाकर भी पी सकते हैं।
7. तुलसी :
तुलसी के पत्तों में Antiviral गुण होते हैं और यह आपके Immune System को बढ़ावा देने में मदद करता हैं। तुलसी की पत्तियां चबाएं या सूखी तुलसी की पत्तियों की चाय बनाकर पियें।
8. जौ का पानी :
जौ का पानी बुखार और Detoxification में मदद करता है। जौ को पानी में उबालें और उसका छना हुआ तरल पदार्थ पियें।
9. कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन न करें :
मसालेदार और अत्यधिक तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन न करें, क्योंकि ये Digest होने में अधिक समय लेते हैं। चावल, सादा दही और उबली हुई सब्जियों जैसे आसानी से पचने योग्य खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
शरीर को Recover करने के लिए भरपूर आराम करें और अधिक परिश्रम वाली गतिविधियों न करें।
याद रखें कि ये उपचार डेंगू बुखार के लक्षणों से राहत दे सकते हैं। यदि आपको संदेह है कि आपको डेंगू बुखार है या लक्षण दिखाई देते है, तो उचित निदान और प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। डेंगू बुखार के गंभीर मामले जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं, इसलिए यदि आपको गंभीर लक्षणों का अनुभव हो तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। इसके अतिरिक्त, आगे के संक्रमण और डेंगू के प्रसार से बचने के लिए मच्छरों के काटने से बचाव के उपाय करें।

पीलिया : लक्षण एवं उपचार
पीलिया एक चिकित्सीय स्थिति है जिसमें त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है। यह Liver, Gall bladder, या लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन और टूटने को प्रभावित करता है।
यह शरीर में Bilirubin की मात्रा अधिक होने के कारण होता है। Bilirubin का निर्माण शरीर के उत्तकों और खून में होता है। आमतौर पर जब किसी कारणों से लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं तो पीले रंग के Bilirubin का निर्माण होता है।
Bilirubin लिवर से फिलटर होकर शरीर से बाहर निकलता है, लेकिन जब किसी कारणों से यह खून से लिवर में नहीं जाता है या लिवर द्वारा फिलटर नहीं होता है तो शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाती है जिससे पीलिया होता है।
पीलिया के सामान्य कारणों में शामिल हैं: Hepatitis : वायरल संक्रमण जैसे Hepatitis A , B , या C लीवर में सूजन पैदा कर सकता है और पीलिया का कारण बन सकता है।
Alcoholic लिवर रोग : अत्यधिक शराब का सेवन समय के साथ लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है,
Cirrhosis : यह लीवर ऊतक का उन्नत घाव है, जो अक्सर Hepatitis और शराब जैसी पुरानी लीवर बीमारियों के कारण होता है।
Hemolytic एनीमिया : लाल रक्त कोशिकाएं उत्पादन की तुलना में तेजी से नष्ट हो जाती हैं, जिसे Hemoglobin और Bilirubin का टूटना बढ़ जाता है।
पित्त संबंधी रुकावट : पित्त नलिकाओं में रुकावट या रुकावट bilirubin को लीवर से excreted होने से रोक सकती है, जिससे पीलिया हो सकता है। यह पित्त पथरी, ट्यूमर या अन्य स्थितियों के कारण हो सकता है।
पीलिया के लक्षण
Symptoms Of Jaundice
पीलिया का सबसे बड़ा लक्षण त्वचा और आंखों का पीला होना है। इसके अलावा, पीलिया होने पर आप खुद में निम्न लक्षणों को अनुभव कर सकते हैं:-
- बुखार होना
- थकान होना
- वजन घटना
- कमजोरी होना
- भूख नहीं लगना
- पेट में दर्द होना
- सिर में दर्द होना
- कब्ज की शिकायत होना
- पेशाब का रंग गहरा होना
- कुछ मामलों में खुजली और उलटी होना
पीलिया रोग का उपचार
Treatment Of Jaundice
पीलिया का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। इस बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर अनेको उपचार विकल्पों का चयन करते हैं जिसमें दवाओं का सेवन, सर्जरी, जीवनशैली और डाइट में बदलाव आदि शामिल हैं।
पीलिया में क्या खाना चाहिए?
What should be eaten in jaundice?
पीलिया होने पर आपको अपने खान-पान का ख़ास ध्यान रखना चाहिए।पीलिया दौरान आपका खान - पान कुछ निम्न प्रकार होना चाहिए :
- फलों का जूस पीएं
- सादा और ताजा खाना खाए
- ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं
- दिन में 4-6 बार थोड़ा - थोड़ा खाएं
- खाना खाने से पहले अच्छी तरह हाथों को धोएं
इन सबके अलावा, आप अपनी डाइट में निम्नलिखित चीजों का सेवन अधिक मात्रा में करें :- दही, मूली, प्याज, पपीता, तुलसी, टमाटर, छाछ मट्ठा, नारियल पानी और शहद आदि।
पीलिया में क्या नहीं खाना चाहिए?
What should not be eaten in Jaundice?
- बाहर का खाना न खाएं
- दाल और बिन्स न खाएं
- मक्खन से परहेज करें
- एकसाथ अधिक मात्रा में खाना न खाएं
- कॉफी और चाय से परहेज करें
- ज्यादा तीखा या तैलीय चीजें न खाएं
- अंडा, मीट, चिकन और मछली का सेवन न करें
अगर आपको पीलिया सम्बन्धी कोई लक्षण नजर आए तो तुरंत स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से सम्पर्क करें। पीलिया या इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना आपके और आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।