बवासीर, दरार और भगंदर के कारण, लक्षण और उपाय
पाइल्स (बवासीर), फिशर (दरार), और फिस्टुला (भगंदर) ये तीनों बीमारियां गुदा द्वार (Anus) में होती हैं। ये बीमारियां खराब डाइट और खराब लाइफस्टाइल की वजह से होती हैं।
1. बवासीर क्या है ? What is Piles?
बवासीर, जिसे Piles के नाम से भी जाना जाता है, इसमें मलाशय (Rectum) और गुदा (Anus) में Blood Vessels में सूजन और जलन होती है।कभी-कभी, इन रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) की दीवारें इतनी पतली हो जाती हैं कि नसें उभर जाती हैं और उनमें जलन होने लगती है, खासकर जब आप मलत्याग करते हैं । इसमें असुविधा और काफी दर्द हो सकता है।यह बहुत आम है, खासकर वृद्ध लोगों में। ये अक्सर अपने आप ठीक हो जाते हैं। कई मामलों में उपचार से भी मदद मिलती है।
बवासीर के लक्षण Piles Symptoms
मल त्याग के दौरान तनाव होना।
पुरानी कब्ज या दस्त.
लंबे समय तक बैठे रहना या खड़े रहना।
मोटापा।
गर्भावस्था और प्रसव। .
उम्र बढ़ने के साथ - साथ।
बवासीर को दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है
Internal बवासीर : ये मलाशय (Rectum) के अंदर होते हैं, इन्हे आमतौर पर देखा या फिर महसूस नहीं कर सकते हैं। ये अक्सर दर्द रहित होते हैं लेकिन मलत्याग Bowel Movements के दौरान Bleeding का कारण बन सकते हैं।
External बवासीर : ये गुदा (Anus) के आसपास की त्वचा के नीचे होते हैं। ये दर्दनाक हो सकते हैं क्योंकि इस क्षेत्र में अधिक Pain-Sensing Nerves होती हैं।और छेड़खानी करने से खुजली या खून आ सकता है।
बवासीर का इलाज Piles Treatment
- उपवास करें
- जंक-फूड का सेवन न करें
- तला-भुना एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन का सेवन बिल्कुल न करें
- गुस्सा, डर और चिंता ना करें
- ज्यादा मात्रा में भोजन न करें
- दिन में न सोएं
- पेशाब और शौच को न रोकें
2. दरार क्या है? What is Fissure?
जब गुदा में छोटे-छोटे कट या दरार उत्पन्न होते हैं, और उनमें दर्द होता है, तो उस स्थिति को फिशर या दरार कहा जाता है। मुख्य रूप से फिशर गुदा के बाहर होते हैं और इसके उत्पन्न होने के कई कारण होते हैं। कुछ मुख्य कारण है जैसे - सख्त स्टूल पास होना, लम्बे समय तक डायरिया होना, बहुत ज्यादा कब्ज या प्रेगनेंसी।
दरार के लक्षण: Symptoms of Fissure:
- मल त्याग के बाद भी दर्द होना जो कई घंटों तक रह सकता है
- मल त्याग के बाद मल पर गहरा लाल रंग दिखाई देना
- गुदा के आस-पास जलन या खुजली होना
- गुदा में बहुत जलन होना
- मल द्वार में अचानक दर्द शुरू हो जाना
- गुदा से पतले पानी जैसा पस निकलन
दरार का इलाज: (Fissure Treatment:
- गाय का दूध पिए तथा घी खाए
- रात भर भीगी हुई किशमिश को खाए
- आंवला का जूस पिए
- मेथी के बीज को खाए
- Anoac H टैबलेट लें
- आहार में उच्च फाइबर और तरल पदार्थ का अधिक सेवन
3. भगंदर क्या है ? What is Fistula?
Fistula एक असामान्य स्थिति है जो दो अंगों, Vessels या शरीर संरचनाओं के बीच बनता है यह स्थिति शरीर के विभिन्न हिस्सों में हो सकती है, जैसे पाचन तंत्र, Urinary System, या त्वचा और आंतरिक अंगों के बीच। Fistula अक्सर चोट, संक्रमण, सूजन या Surgical Complications. के कारण होता है। ये दर्द, संक्रमण और तरल पदार्थ या अपशिष्ट पदार्थों के असामान्य प्रवाह जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं। उपचार में आमतौर पर Fistula को बंद करने और सामान्य शारीरिक रचना को बहाल करने के लिए सर्जिकल मरम्मत के साथ-साथ किसी भी अंतर्निहित कारण या योगदान करने वाले कारकों को संबोधित करना शामिल होता है। फिस्टुला किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
भगंदर के लक्षण Fistula Symptoms
- Anus में गांठ या फोड़े का बार-बार बनना
- Anus के आसपास के क्षेत्र में सूजन या गंभीर दर्द
- Anus से Pus निकलना
- Buttocks के आसपास मवाद (Pus) या खून का रिसाव या Buttocks के आसपास छेद होना
भगंदर का इलाज: Fistula Treatment:
- अधिक मात्रा में पानी पिए
- सोडा और शराब का सेवन न करें
- फलों का जूस पिएँ
- Anus वाले Area को साफ रखें
- प्रत्येक दिन धीरे-धीरे अपने घाव को गर्म पानी से स्नान कराएं(Sait Bath)।
- जब तक आपका घाव ठीक न हो जाए, तब तक साबुन का प्रयोग न करें
- बैठ कर स्नान करें।
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साइटिका के लक्षण, कारण और उपचार
साइटिका जिसे कटिस्नायुशूल भी कहा जाता है। यह साइटिक नर्व में होने वाला दर्द है। यह दर्द आपके पीठ के निचले हिस्से से लेकर आपके पैरो तक होता है। यह आमतौर पर कोई गंभीर या खतरनाक स्थिति नहीं है। यह तब होता है जब आपकी कमर से सम्बंधित नसों में से किसी एक में भी सूजन आ जाए तो पुरे पैर में असहनीय दर्द होने लगता है, जिसे साइटिका कहते हैं। 50 साल से अधिक के लोगों में यह समस्या होना आम है। इसके आलावा अधिक मेहनत करने वाले लोग और ज्यादा वजन उठाने वाले लोगों में भी ये समस्या देखने को मिलती है। अगर यह समस्या लगातार बढ़ती रहे तो यह समस्या शरीर के आंतरिक नसों पर भी बुरा प्रभाव डालना शुरू कर देती है।इसलिए साइटिका के लक्षणों को समय रहते पहचानने और सही इलाज की जरूरत होती है ताकि बीमारी गंभीर रूप न लें।
साइटिका के लक्षण: (Symptoms of Sciatica:)
साइटिका एक प्रकार का नसों में दर्द जो कमर से नीचे की ओर फैलता है। यह दर्द आमतौर पर निम्नलिखित लक्षणों के साथ होता है:
- कमर दर्द (कमर से जुड़ी नसों में सूजन या तेज चुभन)
- नसों में झनझनाहट (नसों के प्रेशर के कारण)
- कमर या पैरों में कमजोरी
- पूरे पैर में असहनीय दर्द होना
- किसी एक पैर का सुन पड़ जाना (नसों के दबाव के कारण)
साइटिका के कारण: (Causes of Sciatica:)
साइटिका का मुख्य कारण होता है स्लिप डिस्क, जिसमें कमर के निचले हिस्से की नस (साइटिक नस) पर दबाव आता है। इसके अलावा, साइटिका के अन्य कारणों में शामिल हैं:
- उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां और चिकनी सतह घिस जाती हैं
- भारी वजन उठाना या अधिक मेहनत करना
- हर्नियेटेड डिस्क (डिस्क का बाहरी पृष्ठ टूट जाता है और अन्य जगह घुस जाता है, जिससे नसों को दबाव पड़ता है )
- ऑस्टियोआर्थराइटिस की जटिलताएं
- चोट लगने के कारण
- रीढ़ की हड्डी के एक या एक से अधिक हिस्सों में दबाव होने पर
- लंबे समय तक बैठे रहने के कारण
- गिरना या कोई दुर्घटना के कारण
साइटिका का इलाज:(Treatment of Sciatica)
साइटिका का इलाज करने के लिए कई तरह के उपाय हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं:
दवाओं का उपयोग: डॉक्टर आमतौर पर दर्द और सूजन को कम करने के लिए दवाओं का सुझाव देते हैं। इसमें गर्मापन और दर्द निवारक दवाएं शामिल हो सकती हैं।
व्यायाम और रहन-सहन: कुछ व्यायाम और योगासन साइटिका के दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। काम के दौरान सही बैठाव और ऊँचाई पर कार्य करना भी लाभकारी हो सकता है।
चिकित्सीय उपचार: कुछ चिकित्सीय उपचार जैसे कि फिजिओथेरेपी, चिकित्सीय मासाज, चिकित्सीय इंजेक्शन आदि भी साइटिका के इलाज में मदद कर सकते हैं।
शल्यचिकित्सा(Surgery): यदि साइटिका का दर्द गंभीर है और अन्य उपायों से लाभ नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर शल्यचिकित्सा का सुझाव दे सकते हैं, जैसे कि साइटिका नर्व की प्रेसर रिलीफ के लिए सर्जरी।
ध्यान देने वाली बात यह है कि साइटिका का इलाज व्यक्ति के लक्षणों, उम्र, और सामान्य स्वास्थ्य के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। इसलिए सर्वश्रेष्ठ इलाज के लिए एक डॉक्टर से परामर्श करना हमेशा आवश्यक है।
साइटिका से बचाव के उपाय: (Ways To Prevent Sciatica:)
साइटिका और अन्य कारणों से पीठ होना सामान्य है, लेकिन कई उपाय हैं जो इसे होने या बार बार होने से रोकने में मदद कर सकते हैं:
1. योग: साइटिका के लिए योगासन बहुत मददगार हो सकते हैं। ताड़ासन, वृक्षासन, भुजंगासन, और मकरासन जैसे आसन साइटिका का इलाज में सहायक हो सकते हैं।
2. व्यायाम: नियमित व्यायाम करना साइटिका को कम करने में मदद कर सकता है।ऐसे व्यायाम करें जो एरोबिक फिटनेस और पेट और रीढ़ की हड्डी की मांशपेशियों में लचीलापन बनाए रखते हैं।
3. ध्यान: मानसिक तनाव और चिंता साइटिका की स्थिति को बढ़ा सकते हैं। ध्यान और प्राणायाम के अभ्यास स्थितियों को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं।
4. सही पोस्चर: सही बैठाव, खड़े होने की तकनीक और सही तरीके से भार उठाने का ध्यान रखना साइटिका को कम कर सकता है।
अगर आपके साइटिका के लक्षण गंभीर हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। वे आपके लिए सबसे उपयुक्त उपचार योजना तय कर सकते हैं।
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सुबह खाली पेट हल्दी का पानी पीने के फायदे
हल्दी हर किसी के घर में पाई जाने वाली सबसे फायदेमंद और लोकप्रिय घरेलू उपचार है। हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसमें मौजूद गुण आपको कई तरह की बिमारियों से बचाते हैं। अगर आप रोजाना अपने दिन की शुरुआत हल्दी के पानी से करते हैं तो शरीर से सम्बंधित कई समस्याएं कम होती हैं। हल्दी में कई तरह के एंटी ऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं, जो कि शरीर की सूजन को कम करते हैं। यह स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं सुबह खाली पेट हल्दी का पानी पीने के क्या फायदे होते हैं।
हल्दी वाला पानी पीने के फायदे: (Benefits of Drinking Turmeric Water)
1. पाचन में मदद करता है:
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कंपाउंड, पित्त(Bile) को स्रावित करने के लिए गॉलब्लेडर को प्रेरित करते हैं। पित्त, पाचन में मदद करता है। हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाएं जाते हैं जो पाचन को सुधारने में मदद करते हैं। हल्दी का पानी पीने से शरीर में पित्त ठीक से बनता है और पाचन तंत्र मजबूत बनता है। साथ ही, हल्दी के पानी से पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे डायरिया, अपच, कब्ज, पेट में दर्द, पेट में ऐंठन आदि समस्याएं दूर होती हैं।
2. इम्यून सिस्टम मजबूत करे:
खाली पेट हल्दी का पानी पीने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है। हल्दी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं।
3. वजन घटाने में सहायक:
रोजाना सुबह खाली पेट हल्दी का पानी पीने से वजन घटाने में मदद मिलती है। हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं, जो वजन घटाने में मदद करते हैं। हल्दी का पानी पीने से शरीर में फैट जमा होने से रोकने में मदद मिलती है।
4. हृदय की सेहत के लिए फायदेमंद:
खाली पेट हल्दी का पानी पीने से ह्रदय की सेहत बेहतर होती है। हल्दी में करक्यूमिन पाया जाता है, जो ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो ह्रदय से संबंधित बीमारियों को कम करने में मदद करते हैं।
5. ब्लड क्लॉट नहीं बनते:
रोजाना सुबह खाली पेट हल्दी का पानी पीने से ब्लड क्लॉट नहीं बनते। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है। साथ ही, यह शरीर में फाइब्रिनोजेन के स्तर को भी कम करता है, जिसके कारण कोरोनरी हृदय रोग हो सकता है।
6. डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद:
डायबिटीज के मरीजों के लिए हल्दी का सेवन फायदेमंद होता है। हल्दी में कई ऐसे गुण होते हैं जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हैं। हल्दी और काली मिर्च को दूध में मिलाकर पीने से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। साथ ही ब्लड वेसल्स भी हेल्दी रहते हैं।
7. स्किन के लिए फायदेमंद:
खाली पेट हल्दी का पानी पीना स्किन के लिए फायदेमंद होता है। हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। हल्दी के पानी से स्किन की सूजन और जलन कम हो सकती है। इससे त्वचा चमकदार और स्वस्थ रहती है।
8. रक्त को शुद्ध करता है:
हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और इसके आयुर्वेदिक गुण खून साफ करने में मदद करते हैं। हल्दी का सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। हल्दी को दूध या गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
हल्दी का पानी कैसे बनाएं: (How To Make Turmeric Water)
सुबह खाली पेट हल्दी का पानी बनाने के लिए, आप ये तरीका अपना सकते हैं:
- एक गिलास पानी उबालें।
- इसमें आधा चम्मच हल्दी पाउडर डालें।
- इसे हिलाएं और 10 मिनट तक उबलने दें।
- पानी को छान लें।
- चाहें तो शहद मिलाएं और सुबह इसे खाली पेट पियें।
आप चाहें तो हल्दी के पानी में ये भी मिला सकते हैं:
- आधा चम्मच नींबू का रस
- एक चम्मच शहद
- कसा हुआ अदरक
- एक चुटकी काली मिर्च
शुरुआत में हल्दी का इस्तेमाल कम करें और फिर धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएं ।
याद रखें, हालाँकि हल्दी वाला पानी स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है लेकिन यदि आपको कोई अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या है या आप दवाएँ ले रहे हैं, तो इसका सीमित मात्रा में सेवन करना और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना आवश्यक है।
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सर्दियों में लोग मशरूम खाना क्यों पसंद करते हैं? मशरूम खाने के फायदे?
सर्दियों में मशरूम खाना बेहत पसंद किया जाता है क्योंकि यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। मशरूम को स्वाद और सेहत से भरपूर माना जाता है। सर्दियों में मशरूम का सेवन करने से कई बीमारियाँ दूर होती हैं। मशरूम में पोटैशियम, कॉपर, आयरन, फाइबर, और कई पोषक तत्व पाए जाते हैं।सर्दियों के मौसम में मशरूमों की मांग बढ़ जाती है। मशरूम को सब्जी, सूप, या सलाद के रूप में खाया जा सकता है। आइए मशरूम से होने वाले विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानते हैं। क्यों सर्दियों में इसका सेवन करना फायदेमंद माना जाता है।
सर्दियों में मशरूम खाने के फायदे: (Benefits Of Eating Mushrooms In Winter)
1. इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है:
सर्दियों में मशरूम खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है। सर्दियों में मशरूम खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे आप सर्दी-जुकाम, खांसी जैसी समस्याओं से बच सकते हैं। मशरूम की तासीर ठंडी होती है, लेकिन सर्दियों में इसका सेवन ज्यादा किया जाता है। सर्दियों में लोगों को मजबूत इम्यूनिटी की ज्यादा जरूरत होती है, जो मशरूम के खाने से होती है। मशरूम में विटामिन-डी पाया जाता है, जिस कारण से इसे सर्दियों में खाना और अधिक फायदेमंद होता है।
2. आँखों के लिए फायदेमंद:
सर्दियों में मशरूम खाने से आंखों की रोशनी तेज होती है। मशरूम में विटामिन-A, बीटा-कैरोटीन, विटामिन B2 , विटामिन C, विटामिन D, और विटामिन B12 पाया जाता है। ये सभी पोषक तत्व आंखों के लिए फायदेमंद होते हैं। बीटा-कैरोटीन आंखों को दृष्टि दोष से बचाता है। विटामिन B2 स्किन के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।
3. वजन घटाने में सहायक:
सर्दियों में मशरूम खाने से वजन घटाने में मदद मिलती है। मशरूम में घुलनशील फाइबर होता है, जो पेट को लंबे समय तक भरा रखता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा देते हैं और वजन घटाने में मदद करते हैं। मशरूम में कैलोरी और फैट कम होता है, लेकिन फाइबर और प्रोटीन ज्यादा होता है।
4. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है:
सर्दियों में मशरूम खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। मशरूम में पोटैशियम की मात्रा ज्यादा होती है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। साथ ही इसमें सोडियम कम मात्रा में पाया जाता है। मशरूम में फाइबर, पोटेशियम, और विटामिन-C भी पाया जाता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। मशरूम उच्च रक्तचाप के रोगियों को काफी फायदा पहुंचाते हैं।
5. कैंसर के खतरे को कम करता है:
पोषक तत्वों से भरपूर मशरूम कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है। इसमें एर्गोथायोनीन पाया जाता है, जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। रिसर्च के अनुसार, डेली डाइट में मशरूम खाने से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को कम किया जा सकता है।
6. पौष्टिक लाभ:
मशरूम में कैलोरी कम होती है लेकिन विटामिन B और D जैसे पोषक तत्वों के साथ-साथ सेलेनियम और पोटेशियम जैसे खनिज भी अधिक होते हैं। वे फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं, खासकर फ्लू के मौसम में।
7. कोलेस्ट्रॉल कम करता है:
सर्दियों में मशरूम खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। मशरूम में ऐसे यौगिक पाए जाते हैं, जो बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि मशरूम, विशेष रूप से, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं।
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सर्दियों में लोग मूंगफली खाना क्यों पसंद करते हैं ? क्या हैं इसके फायदे?
सर्दियों में लोग मूंगफली खाना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। साथ ही यह शरीर को गर्माहट भी प्रदान करती है। मूंगफली खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। मूंगफली में मौजूद पॉलीफेनोल नाम का एंटीऑक्सीडेंट वजन कम करने में मदद करता है। मूंगफली में मौजूद प्रोटीन, फैट, विटामिन, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, और कैल्शियम शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद करते हैं। यह सर्दियों में खाया जाने वाला एक लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है। सर्दियों में मूँगफली खाने से हमारे शरीर को कई सारे फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं।
सर्दियों में मूंगफली खाने के फायदे : (Benefits Of Eating Peanuts In Winter)
1. पोषक तत्वों से भरपूर:
मूंगफली आवश्यक पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, स्वस्थ वसा, फाइबर, विटामिन (जैसे विटामिन ई और बी विटामिन), और खनिज (जैसे मैग्नीशियम, फास्फोरस और जस्ता) से भरपूर होती है। ये पोषक तत्व समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और ठंड के महीनों के दौरान आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को मजबूत करने में सहायक है।
2. सर्दियों के दौरान शरीर को ऊर्जा देती है :
मूंगफली में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है और इसमें स्वस्थ वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो इसे ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत बनाते हैं। सर्दियों के दौरान, जब आपके शरीर को गर्म और सक्रिय रहने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, तो इस दौरान मूंगफली का सेवन करना एक सुविधाजनक और पौष्टिक स्नैक विकल्प हो सकता है।
3. हृदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद:
मूंगफली में मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड वसा मौजूद होती है, जो हृदय-स्वस्थ लाभ के लिए जाने जाते हैं, जैसे कि खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करना। संतुलित आहार के हिस्से के रूप में मूंगफली का सेवन हृदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। विशेष रूप से जब सर्दियों के दौरान ठंड का मौसम हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है। मूंगफली का सेवन हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
4. मूड में सुधार (Mood Enhancement):
मूंगफली में मैग्नीशियम और ट्रिप्टोफैन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो सेरोटोनिन के उत्पादन में शामिल होते हैं, एक न्यूरोट्रांसमीटर जो मूड को नियंत्रित करता है। मूंगफली खाने से मूड को बेहतर बनाने में मदद मिलती है और सर्दियों के महीनों के दौरान मौसमी भावात्मक विकार (एसएडी) का खतरा कम हो सकता है।
5. डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद:
मूंगफली का सेवन करने से डायबिटीज में फायदा मिलता है। मूंगफली में मौजूद मिनरल्स ब्लड शुगर को संतुलित रखने में मदद करते हैं। एक अध्ययन के अनुसार मूंगफली का सेवन डायबिटीज के खतरे को 21 फीसदी तक कम कर सकता है।
6. वजन कम करने में सहायक:
मूंगफली में प्रोटीन और फाइबर होता है, जो वजन घटाने में मदद करता है। मूंगफली में मौजूद प्रोटीन और फाइबर से शरीर को एनर्जी मिलती है और भूख शांत रहती है। मूंगफली में मौजूद प्रोटीन, मोनोसैचुरेटेड फैट्स, और फाइबर मेटाबॉलिज्म बढ़ाते हैं और कैलोरी बर्निंग को बढ़ावा देते हैं। प्रोटीन मसल बनाने में मदद करता है, जिससे कैलोरी बर्निंग में मदद मिलती है। मूंगफली में मौजूद प्रोटीन और अघुलनशील आहार फाइबर वजन घटाने में मदद करते हैं। इसमें वसा और कैलोरी ज्यादा होती है, लेकिन ये वजन बढ़ाने में योगदान नहीं करती।
7. ब्लड शुगर नियंत्रित करने में सहायक:
मूंगफली में मौजूद प्रोटीन और डाइटरी फाइबर, ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। मूंगफली में मौजूद मैग्नीशियम भी ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है। मूंगफली में ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड कम होता है। इसमें भरपूर पोषक तत्व होते हैं। इसलिए, डायबिटीज के मरीजों के लिए मूंगफली का सेवन करना सुरक्षित माना जाता है।
8. सर्दी जुकाम में सहायक:
सर्दी-जुकाम में मूंगफली सेहत के लिए फायदेमंद है। मूंगफली की तासीर गर्म होती है, इसलिए यह शरीर को गर्म रखकर सर्दी-जुकाम की समस्या में जल्द राहत देती है। सर्दियों में इसका रोजाना सेवन करने से शरीर अंदर से गर्म रहता है और सर्दी से बचाव होता है।
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पिंपल्स से छुटकारा पाने के असरदार घरेलू उपाय
पिंपल्स या मुहांसे (Acne) त्वचा की एक समस्या है। ये सफेद, काले, और लाल जलने वाले दाग के रूप में दिखते हैं। ये लगभग 13 साल की उम्र से शुरू होकर 30 साल तक कभी भी निकल सकते हैं। ये निकलते समय कुछ हद तक दर्दनाक हो सकते हैं और ठीक होने के बाद भी इसके दाग-घब्बे चेहरे पर रह जाते हैं। पिंपल्स तब होते हैं जब स्किन के नीचे तेल ग्रंथियों (Oil Glands) से जुड़े स्किन के छेद (Pores) बंद हो जाते हैं। पोर्स का बंद होना डेड स्किन सेल्स और बैक्टीरिया को विकसित करता है, जिसकी वजह से मुंह में सूजन और मुंहासे होते हैं। कई बार आपके हार्मोन्स, आनुवंशिकी और तनाव भी इनके होने का एक कारण बनते हैं। पिंपल्स की समस्या तब होती है, जब आपकी स्किन ऑयली हो या स्किन से ऑयल का उत्पादन ज्यादा होने लगे। तब स्किन सेल्स के फैलाव में कमी आ जाती है। इस वजह से त्वचा छिद्र यानी स्किन पोर्स ब्लॉक हो जाते हैं। और पिम्पल्स के होने का कारण बनते हैं।
चेहरे पर पिंपल्स होने के कारण: (Reasons For Pimples On The Face)
चेहरे पर पिंपल्स होने की कई वजहें हो सकती हैं:
- धूल, धुआं, और प्रदूषण की वजह से स्किन के पोर्स बंद हो जाते हैं।
- ज्यादा ऑयली, फैटी, और जंक फूड खाने से स्किन में ऑयल बढ़ जाता है।
- ज्यादा समय तक Heavy Makeup लगाकर रखने से स्किन के पोर्स बंद हो सकते हैं।
- हार्मोनल बदलाव के कारण
- अत्यधिक तेल-मसाले वाला खाना खाने से
- तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने के कारण
- स्किन का ख्याल न रखना।
- विटामिन B-12 की कमी के कारण।
चेहरे पर दाने चिकनपॉक्स, मंकीपॉक्स, मिलिया, और रोसैशिया जैसी बीमारियों की वजह से भी हो सकते हैं। 17 से 21 साल की उम्र में मुँहासे होना सामान्य बात है। क्योंकि इस उम्र में हार्मोन्स जैसे- एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन घटते और बढ़ते रहते हैं।
चेहरे से पिंपल्स हटाने के घरेलू उपाय: (Home Remedies To Remove Pimples From Face)
कई ऐसे घरेलू उपचार हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप पिम्पल्स से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। नीचे कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो पिम्पल्स से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद करेंगें।
1. Tea Tree Oil:
यह अपने जीवाणुरोधी गुणों के लिए जाना जाता है, Tea Tree Oil सूजन को कम करने और त्वचा पर बैक्टीरिया को मारने में मदद कर सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए एक कटोरी में 1 से 2 बूंद टी ट्री ऑयल को 1 चम्मच पानी में मिलाएं। चेहरे को साफ करके रुई की मदद से इस मिश्रण को एक्ने या पिम्पल वाली जगह पर करीब 5 से 10 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर सादा पानी से चेहरे को धो लें। इस नुस्खे को आप हर रोज कर सकते हैं।
टी ट्री ऑयल, त्वचा को चमकदार बनाने के साथ-साथ स्किन प्रॉब्लम्स को ठीक करने में भी मदद करता है। यह बुढ़ापे के लक्षणों को कम करने में और स्किन को जवां बनाए रखने में भी मदद कर सकता है।
2. हल्दी, शहद और नींबू का लेप:
पिंपल हटाने के लिए आप शहद के साथ हल्दी मिलाकर फेस पैक तैयार करें। इसमें थोड़ी मात्रा में नींबू का रस भी मिला लें। इस पैक को बनाने के लिए इसमें हल्दी 1/4 चम्मच, शहद 1 चम्मच और आधा चम्मच नींबू का रस अच्छी तरह से मिला लें। सिर्फ 15 से 20 मिनट तक इसे लगा रहने दें और फिर पानी से अच्छी तरह धो लें। इस फेस पैक से आपकी त्वचा के पिंपल्स दूर हो जाएंगे और त्वचा के दाग-धब्बों भी नहीं रहेंगे।
3. शहद और दालचीनी का मास्क:
शहद और दालचीनी पाउडर को मिलाकर पेस्ट बना लें और इसे पिंपल्स पर लगाएं। शहद में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जबकि दालचीनी सूजन को कम करने में मदद करती है। शहद और दालचीनी को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। अब इस पेस्ट को पिम्पल्स के ऊपर या फिर पूरे चेहरे पर अच्छी तरह से लगा लें। पेस्ट लगाने के बाद उसे 15 से 20 मिनट तक छोड़ दें। फिर पूरे चेहरे को धोकर पोंछ लें।
अगर किसी को दालचीनी से एलर्जी है, तो इस पैक का इस्तेमाल न करें।
4. एलोवेरा:
एलोवेरा जेल को सीधे प्रभावित जगह पर लगाएं। इसका इस्तेमाल पिंपल्स के साथ-साथ त्वचा से जुड़ी अन्य समस्याओं में भी फायदेमंद होता है। एलोवेरा में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पिंपल्स को रोकने में मदद करते हैं। साथ ही, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो पिंपल्स के कारण होने वाली सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
5. Apple Cider Vinegar:
एप्पल साइडर विनेगर को पानी में घोलें और कॉटन रुई या कपड़े की मदद से इसे पिंपल्स पर लगाएं। सेब के सिरके में जीवाणुरोधी गुण होते हैं और साथ ही इसमें फाइबर, एंजाइम, पोटैशियम, एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। ये पोषक तत्व स्किन को गहराई से हाइड्रेट करते हैं और त्वचा के PH स्तर को संतुलित करने में मदद करते हैं।
6. ओटमील मास्क:
ओटमील को पकाएं और ठंडा होने दें। इसे चेहरे पर मास्क की तरह लगाएं और धोने से पहले 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें। इससे पिम्पल बहुत जल्दी ठीक होते हैं। यह चेहरे में मौजूद अतिरिक्त Oil को अवशोषित करने में भी मदद करता है।
7. नीम की पत्तियां:
नीम मुंहासों और पिंपल्स से जुड़ी समस्याओं में मददगार है। नीम के एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण त्वचा को Protect करते हैं। नीम के पत्ते को पीसकर उसका पेस्ट बनाएं और इसे पिंपल्स पर लगाएं। नीम के एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा के इंफेक्शन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
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