
बच्चों के लिए योग
बच्चों के लिए योग आसन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक उत्कृष्ट तरीका है। योग के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि बच्चों को अभ्यास करने के लिए किसी विशेष कौशल या किसी पूर्व ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन एक बार जब बच्चे सावधानी से चुने गए इन योग आसनों का अभ्यास करना शुरू कर देंगे, तो योग उनके लिए जीवन जीने का एक तरीका और दैनिक जीवन की एक नियमित क्रिया बन जाएगा।
बच्चों के लिए कुछ सर्वश्रेष्ठ योगासन
Some best Yoga Poses for kids
1. शव मुद्रा (सवासना) :
सर्वप्रथम बच्चों को योग के प्रति रूचि बनाने के लिए इस योग मुद्रा से शुरुआत करें।
सबसे पहले अपने पैरों को बिल्कुल सीधा करके पीठ के बल लेट जाएं और भुजाओं को खुला छोड़ दें। बाजुओं को शरीर से कम से कम छह इंच की दूरी पर रखें।
आँखें बंद और आराम से लेट जाए। अपनी हथेलियों को ऊपर की ओर रखें।
शरीर का भार ज़मीन पर रखते हुए सामान्य रूप से सांस लें।
अपने शरीर को तनाव मुक्त करते हुए धीरे-धीरे से सांस छोड़ें।
फ़ायदे : रचनात्मकता को बढ़ाता है, एकाग्र शक्ति बढ़ती है शरीर को आराम मिलता है और तनाव दूर होता है।
2. सुखासन (आराम से बैठने की मुद्रा ) :
अपनी पीठ सीधी करके जमीन पर बैठें। अपने सिर, गर्दन और रीढ़ को एक सीध में रखें।
अब पैरों को क्रॉस करें और घुटनों को जमीन की ओर लाएं।
दोनों हाथों को घुटनों के ऊपर रखें।
फ़ायदे : शरीर को आराम देने में मदद करता है,ध्यान केंद्रित करता है ,पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और लचीलेपन को बढ़ावा देता है।
3. वृक्षासन :
सीधे खड़े हो जाएं और अपने हाथों को बगल में रखें।
अब अपना वजन एक पैर पर डालें और दूसरे पैर को घुटने से ऊपर उठाएं।
उठे हुए पैर को जांघ पर रखें। सुनिश्चित करें कि आप इस स्थिति में आरामदायक महसूस करें।अब अपनी भुजाओं को ऊपर उठाएं।
फायदे : शरीर का संतुलन बनाता है,पीठ व पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
4. भुजंगासन (कोबरा मुद्रा) :
अपने पेट के बल लेट जाए।
पैरों के पंजों को फर्श पर सीधे रखें और अपनी हथेलियों को शरीर के आगे की ओर
रखें।
अब हाथों को कंधों के नीचे लाएं।
ठुड्डी ऊपर करके शरीर को कोबरा मुद्रा में ऊपर उठाए।
फ़ायदे : तनाव कम होता है, आंत और फेफड़ों को स्वस्थ रखता है छाती, भुजाओं, पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है,शारीरिक मुद्रा को बढ़ाता है।
5. मेंढक मुद्रा (मंडूकासन)
अपने हाथों और घुटनों को फर्श पर टिकाकर शुरुआत करें। नीचे की ओर देखते हुए अपने हाथों के बीच एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें।
अपने पैरों को घुटनों के ठीक पीछे रखें। एड़ियों और पैरों को घुटनों के साथ सीध में रखना न भूलें।
सांस छोड़ें और कूल्हों(Hips) को तब तक पीछे धकेलते रहें जब तक आपको खिंचाव महसूस न हो।
फ़ायदे : कूल्हों, जांघों और रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन में सुधार करता है,भूख बढ़ाता है।
6. कोणासन( तितली मुद्रा ) :
सबसे पहले अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा करके बैठें और अपने पैरों को सीधा फैला लें।
अब पैरों को इस तरह मोड़ें कि एक पैर दूसरे को छू ले। उन्हें अपने हाथों से पकड़ें।
सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे दोनों जांघों और घुटनों को नीचे की ओर ले जाएं।
यह तितली के पंखों की नकल करते हुए, पैरों को ऊपर-नीचे फड़फड़ाए।
सामान्य गति से सांस लेते और छोड़ते रहें।
आसन छोड़ते समय पहले धीमी गति करें और फिर रुकें।
फ़ायदे : पैरों और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है,पाचन क्रिया को सक्रिय करता है ,चिंता और तनाव को कम करने में मदद करता है,सिरदर्द और थकान से राहत दिलाता है।
7. ताड़ासन(पर्वतीय मुद्रा) :
सबसे पहले अपने पैरों को कुछ इंच की दूरी पर फैलाते हुए सीधे खड़े हो जाएं, अपनी बाहों को अपने सिर के ऊपर उठाएं और स्थिर रूप से खड़े हो जाएं।
फ़ायदे : जांघों और पैरों को मजबूत बनाता है, अच्छी नींद को बढ़ावा देता है।
8.नौकासन (नाव मुद्रा) :
अपने पैरों को एक साथ जोड़कर अपने पेट के बल लेट जाएं।अब अपनी भुजाओं और उंगलियों से अपने पैर की उंगलियों तक पहुंचें।
सांस छोड़ते हुए अपनी छाती और पैरों को जमीन से ऊपर उठाकर 'वी' आकार बनाएं।
अपने शरीर का भार कूल्हों पर रखें।
फ़ायदे : पेट की मांसपेशियों, कंधों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
कब्ज को कम करने और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है।
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